भारत में Cyber Fraud: संसदीय समिति ने Cyber Fraud को रोकने के लिए एक अलग रेगुलेटर की सिफारिश की

लेखक: गौतम कुमार | 29 जुलाई 2023 (17:15 IST)
संसदीय समिति ने Cyber Fraud को रोकने के लिए एक अलग रेगुलेटर की सिफारिश की

भारत में वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की बढ़ती संख्या एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। वित्त मंत्रालय की संसदीय समिति के अनुसार, 2022 में एटीएम और अन्य वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में 65% की वृद्धि हुई है।

धोखाधड़ी में लूटे गए पैसे की रकम 2021 की तुलना में दोगुनी हो गई. 2021 में 10 लाख से ज्यादा वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए, जिसमें 1119 करोड़ रुपये की लूट हुई. 2022 में धोखाधड़ी की संख्या बढ़कर 17 लाख हो गई और लूटी गई रकम बढ़कर ₹2113 करोड़ हो गई. प्रत्येक 14,000 लेनदेन पर पर एक फ्रॉड हो रहा है।

संसदीय समिति ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक सेंट्रलाइज्ड रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना के लिए सुझाव दिया है, जिसका काम एविएशन सेक्टर में काम करने वाले डीजीसीए के समान होगा। यह बॉडी भारत के आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और नेटवर्क को साइबर खतरों से बचाने के लिए जिम्मेदार होगी।

आंकड़े दिखाते हैं कि प्रत्येक महीने 2000 लोग एटीएम फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं। इन फ्रॉड्स में सबसे ज्यादा प्रकार कार्ड क्लोनिंग, एटीएम कार्ड चोरी और एटीएम कार्ड डेटा चोरी हैं।

अबादी के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ भारत में डिजिटल लेनदेन भी बढ़ रहे हैं, जिससे फ्रॉड्स की वृद्धि होना चिंताजनक है। अब जब यह मामला आरबीआइ से ऊपर उठकर सरकार और संसदीय समितियों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है। इसलिए, संसदीय समिति ने साइबर सुरक्षा के लिए एक अलग अथॉरिटी की स्थापना का सुझाव दिया है।

यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है क्योंकि अब तक भारत में कोई स्पष्ट अथॉरिटी नहीं है जो साइबर सिक्योरिटी के मामले को संभाले। साइबर सिक्योरिटी का एक हिस्सा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन है, जबकि उसका वित्तीय पहलु आरबीआइ के नियंत्रण में है। एक अलग से अथॉरिटी की स्थापना इनको एक साथ लाकर एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने में मदद करेगी।

भारत में हाल ही में डाटा एन्क्रिप्शन का कानून भी पास हुआ है, और इस पर अभी चर्चा जारी है। यह पहली बार है कि संसदीय समिति ने एक विशेष अथॉरिटी की स्थापना के लिए सुझाव दिया है।

इस प्रस्तावित अथॉरिटी का उद्देश्य साइबर सिक्योरिटी, साइबर फ्रॉड, और डेटा चोरी के मामलों के लिए नजर रखना होगा, साथ ही ऑनलाइन बेटिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और डिजिटल माध्यमों के माध्यम से होने वाले अन्य अपराधों को भी नियंत्रित करेगी।

इस अथॉरिटी की स्थापना के लिए सरकार को शायद एक नया विधेयक लाने की आवश्यकता हो सकती है। इससे न केवल साइबर सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि भारत में डिजिटल अपराधों के प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।

हमारा मानना है की इस मामले में, सरकार को और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। कई बार, यह होता है कि जब एक नया तकनीकी विकास होता है, तो धोखाधड़ी करने वाले लोग उसका दुरुपयोग करते हैं। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करे और साथ ही साथ कानूनी फ्रेमवर्क को मजबूत करे ताकि ऐसी गतिविधियों को रोका जा सके।

वित्तीय धोखाधड़ी में अगर कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है, तो उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इससे लोगों में ऐसी गतिविधियों के प्रति डर पैदा होगा।

उपभोक्ताओं को भी सतर्क रहने की जरूरत है। वे केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही अपने वित्तीय लेन-देन करें। यदि कोई अनजाने व्यक्ति आपसे आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगता है, तो उसे देने से बचें।

साइबर सुरक्षा के महत्व को समझना और उसे अपनाना आवश्यक है। हम सभी को आईटी साधनों का उपयोग करते समय सावधान रहना चाहिए। यह सिर्फ सरकारी नीतियां और कानूनी प्रावधानों का मामला नहीं है, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसे एक सुरक्षित और विश्वसनीय स्थान बनाएं।

वित्तीय धोखाधड़ी के इस बढ़ते हुए चलन को रोकने के लिए सरकार, संगठन, और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। साइबर सुरक्षा को एक प्राथमिकता बनाने के लिए हमें हमारे वित्तीय सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है।

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